स्वर्गीय डॉ. इसरार हुसैन रिजवी : स्वतंत्रता संग्राम के नायक की धरोहर को संजोने की पहल

नगराम टाइम्स ब्यूरो

नगराम,लखनऊ के महान स्वतंत्रता सेनानी डॉ. इसरार हुसैन रिजवी का जीवन सेवा, त्याग और संघर्ष का प्रतीक था। उन्होंने न केवल देश की आज़ादी के लिए संघर्ष किया, बल्कि आज़ादी के बाद भी अपनी पूरी ज़िंदगी लोगों की सेवा में समर्पित कर दी। आज उनकी यादों को संजोए रखने और उनकी विरासत को आगे बढ़ाने के लिए सरकार से उनके नाम पर कई महत्वपूर्ण कदम उठाने की मांग की जा रही है।

डॉ. इसरार हुसैन रिजवी : एक नायक की कहानी

डॉ. इसरार हुसैन रिजवी का जीवन आज भी नगराम के लोगों के दिलों में जिंदा है। वह केवल एक चिकित्सक नहीं थे, बल्कि गरीबों के मसीहा थे। उन्होंने हमेशा यह सुनिश्चित किया कि आर्थिक तंगी से जूझ रहे लोगों को निःशुल्क इलाज मिले। यह उनकी खास पहचान थी कि चाहे वह किसी भी धर्म या जाति का व्यक्ति हो, उनके दरवाजे हमेशा सभी के लिए खुले रहते थे। उनके दवाखाने पर हर धर्म के लोगों का आना-जाना बना रहता था, जो इस बात का प्रतीक था कि वह देश की एकता और अखंडता के प्रबल समर्थक थे।

मोहर्रम के दौरान विशेष सेवाएं

मोहर्रम के अवसर पर उनकी सेवाओं को भुलाया नहीं जा सकता। हर साल 7 मोहर्रम को मेहदी का जुलूस, 8 को अलम का जुलूस और 10 को ताजिया का जुलूस निकलता था, जिसमें नगराम के लोग बड़ी संख्या में शामिल होते थे। इस दौरान डॉ. इसरार हुसैन की ओर से पानी, शरबत और चाय की सबील लगाई जाती थी, जो उनकी इंसानियत और सेवा भावना को दर्शाती थी। उनके जीवनकाल में जब नौहा पढ़ने वाले नवजवानों का मजमा लगता था, तो वह उनकी हौसला अफजाई करने में कभी पीछे नहीं रहते थे। आज भी उनकी याद में हर धर्म और वर्ग के लोग उनका जिक्र सम्मान के साथ करते हैं।

उनके मकान का ऐतिहासिक महत्व

डॉ. इसरार हुसैन रिजवी का मकान, जो चौधराने मोहल्ले में है और बाजार के रास्ते में है, आज भी उनकी यादों का गवाह है। हालांकि अब यह मकान जर्जर हो चुका है, फिर भी यह उनकी अद्वितीय सेवा और संघर्ष की कहानियां सुनाता है। यह बेहद अफसोस की बात है कि नगर पंचायत ने अब तक इस महान स्वतंत्रता सेनानी के सम्मान में कोई पार्क, स्मारक या सड़क का नामकरण नहीं किया है। उनके निधन के बाद उन्हें लखनऊ के करबला इमामदाद हुसैन में सुपुर्दे-खाक किया गया था।

आज भी उनकी एक बेटी नसीमा बाजी अपने वालिद की कायम मजलिस को हर साल आकार नगराम में करवाती है।

एक मांग : डॉ. इसरार हुसैन रिजवी की विरासत को कायम रखने के उपाय

नगराम के लोगों और उनके चाहने वालों की तरफ से यह मांग उठाई जा रही है कि डॉ. इसरार हुसैन रिजवी की याद को सजीव रखने के लिए सरकार को ठोस कदम उठाने चाहिए। उनके नाम पर एक ट्रस्ट स्थापित किया जाना चाहिए, जो उनके द्वारा स्थापित मूल्यों और सिद्धांतों को आगे बढ़ाए। इस ट्रस्ट के माध्यम से निम्नलिखित कार्य किए जा सकते हैं :

1. मेडिकल कैंप का आयोजन : डॉ. इसरार हुसैन के निःशुल्क चिकित्सा सेवाओं को ध्यान में रखते हुए, उनके नाम पर नियमित रूप से मेडिकल कैंप का आयोजन किया जाए, जहां गरीब और जरूरतमंद लोगों को मुफ्त चिकित्सा सेवाएं मिलें।

2. लाइब्रेरी की स्थापना : शिक्षा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से उनके नाम पर एक लाइब्रेरी की स्थापना की जाए, जहां इलाके के बच्चे और युवा आकर अध्ययन कर सकें और अपनी शिक्षा को आगे बढ़ा सकें।

3. वजीफा योजना : नगराम के बच्चों के लिए एक वजीफा योजना की शुरुआत की जाए, जिससे उन्हें उच्च शिक्षा प्राप्त करने में सहायता मिल सके। यह वजीफा खासतौर पर उन बच्चों के लिए हो, जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं और पढ़ाई में उत्कृष्टता दिखाते हैं।

4. पानी कूलर और सबील का प्रबंध : डॉ. इसरार हुसैन की याद में विभिन्न स्थानों पर पानी के कूलर लगाए जाएं, ताकि उनके द्वारा दी जाने वाली सेवाओं की तरह यह भी लोगों की प्यास बुझा सके।

5. पार्क और सड़क का नामकरण : नगर पंचायत से यह अपील की जा रही है कि डॉ. इसरार हुसैन रिजवी के नाम पर नगराम में एक पार्क और एक सड़क का नामकरण किया जाए। यह न केवल उन्हें सम्मानित करेगा, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को उनके योगदान के बारे में जानकारी भी देगा।

स्वर्गीय डॉ. इसरार हुसैन रिजवी का जीवन समर्पण, सेवा और देशप्रेम का प्रतीक था। उनका मकान, जो आज भी उनके संघर्ष की कहानियां सुनाता है, एक स्मारक स्थल के रूप में पुनर्जीवित किया जाना चाहिए। उनकी याद में ट्रस्ट की स्थापना, पार्क और सड़क का नामकरण जैसे उपाय उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होंगे। यह कदम न केवल उनके अद्वितीय योगदान को मान्यता देंगे, बल्कि नगराम के लोगों के दिलों में उनकी यादों को हमेशा के लिए जीवित रखेंगे। सरकार को इस दिशा में तेजी से कदम उठाकर इस महान स्वतंत्रता सेनानी को वह सम्मान देना चाहिए, जिसके वह सच्चे हकदार हैं।

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